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आज़ाद हिन्द सेना की प्रथम महिला जासूस कैप्टन नीरा आर्य को भुला देश

महान स्वतंत्रता सेनानी और देश की पहली महिला जासूस नीरा आर्य के बारे में, जिसे नेता जी ने नागिनी कहा था

धर्मशाला, राकेश भारद्वाज 

गणतंत्र दिवस पर विशेष खबर !

लोग समाज सेवा के नाम पर एक छोटा सा काम करते हैं फिर अपने नाम का प्रचार करने में लग जाते हैं, ऐसा अक्सर कभी समाचार पत्रों में तो कभी सोशल मीडिया में देखने को मिलता है lदूसरी तरफ, इस भारत की धरती पर ऐसी वीर महिला भी रही है जिसने इस देश की आजादी की लय में अपना सव कुछ निन्योछावर कर दिया, लेकिन, बदले में देश की आजादी के बाद भी उस महिला को बह सम्मान नहीं मिला जिसकी वो पात्र है l इस बास्ते हमारी भारत सरकार भी उत्तरदायी है l भारत सरकार के दस्तावेजों में इस बीर महिला का कोई अभिलेख और कारनामा दर्ज नहीं है l
एक लंबे संघर्ष के बाद भारत को आजादी मिली l महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, और भगत सिंह जैसे नाम इसके नायक बनकर उभरे, वहीं कुछ नाम गुमनामी के अंधेरे में कहीं खो से गए l स्वतंत्रता में उनके योगदान की कहानियां तो दूर, कई लोग उनका नाम तक नहीं जानते है, “नीरा आर्य” एक ऐसा ही नाम रहा है l
इस क्रांतिकारी बेटी ने भारत की आजादी के लिये अपना सब कुछ बलिदान कर दिया l यहां तक कि नेताजी सुभाष चंद बोस को बचाने के लिए अपने पति की हत्या तक कर दी थी l जेल में अंग्रेजों ने उनके स्तन काट दिए थे, फिर भी उन्होंने गद्दारी नहीं की थी l
“नीरा का जन्म 5 मार्च, 1902 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के खेकड़ा में हुआ था l वो अपने इलाके के प्रतिष्ठित व्यवसायी सेठ छजूमल की बेटी थीं l जब नीरा आर्य का जन्म हुआ, उस समय भारत में अंग्रेजों का शासन था l कहते हैं, छोटी उम्र से ही नीरा ने अपने देश के लिए आया l

 

कम उम्र में नीरा के पिता ने उनकी शादी ‘श्रीकांत जयरंजन दास’ से कर दी थी l आमतौर पर विवाहित होने के बावजूद लोगों की सोच बदल जाती है, लेकिन नीरा ने अपने रास्ते को नहीं छोड़ा. जहां नीरा अंग्रेजों से अपने देश की आजादी चाहती थीं, वहीं उनके पति ब्रिटिश सरकार के लिए काम कर रहे थे. क्रांतिकारी गतिविधियों के दौरान नीरा ‘आजाद हिंद फौज’ के संपर्क में आईं और ‘झांसी रेजिमेंट’ का हिस्सा बन गईं l
अंग्रेजों ने नीरा के पति जयरंजन दास को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जासूसी करने और मौका मिलते ही उनकी हत्या करने की जिम्मेदारी थी l इसके लिए जयरंजन ने कई प्रयास भी किए लेकिन उसे सफलता नहीं मिली l अपने पति के मिशन के बारे में जब मीरा को जानकारी हुई तो वो उनके खिलाफ हो गईं l एक दिन जब उनके पति ने सुभाष चंद्र बोस की हत्या करने का प्रयास किया, तो उन्होंने अपने पति को छुरा घोंप कर मार डाला, और नेताजी सुभाष चंद्र बोस को बचा लिया, इसके लिए उन्हें अंग्रेजों ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी l
कारावास के दौरान नीरा को यातनाएं सहनी पड़ीं, उन्हें अंडमान भेज दिया गया, जहां उन्हें छोटी सी कोठरी में रखा गया था l अंग्रेजों ने नीरा को लोहे की सख्त जंजीरों में बांध रखा था, उनके साथ लगातार बदसलूकी की गई, यहां तक की उन्हें ब्रेस्ट तक काट दिए थे, अंग्रेज नीरा से लगातार पूछते रहे कि नेताजी सुभाष चंद्र कहां हैं l

इतिहासकारों ने मुताबिक अगर नीरा सुभाष चंद्र बोस के बारे में जानकारी दे देतीं तो उन्हें जमानत मिल जाती, लेकिन नीरा ने अपना मुंह नहीं खोला था l भारत की स्वतंत्रता के बाद, नीरा जेल से बाहर निकली और हैदराबाद में फूल बेचकर अपना बाकी का जीवन बिताया 1998 में उनका निधन हो गया था l”वाज बुलंद करनी शुरू कर दी थी l उन्होंने कई स्वतंत्रता आंदोलनों में भाग लिया, और देश के प्रति अपने समर्पण को प्रदर्शित कि !

इस समाजसेवी ने उठाया यह मामला !

कांगड़ा जिला के गांब अनसोली निबासी एक सोशल एक्टिविस्ट ए.बी. राजबंश ने इसी महान महिला के बारे में उचित जानकारी प्रदान करने हेतू भारत सरकार, गृह मंत्रालय, नीरा आर्य का पैदयशी जिला के कलेक्टरेट बागपत ( उत्तर प्रदेश ) और (मृत्यु स्थल )कलेक्टर, हैदराबाद (तेलंगाना ) को सुचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन किये गये थे l गृह मंत्रालय से पत्रांक : F.No./25/RTI /2022-FF/(NZ) 2599945 दिनांक 8/8/2022 के तहत स्पस्ट किया गया कि इस बिरंगना नीरा आर्य बारे कोई अभिलेख या जानकारी भारत सरकार के पास नहीं है l इसी प्रकार, तहसीलदार खेकड़ा (उ.प्र.) और कलेक्टरेट हैदराबाद से भी ऐसे ही निराशाजनक उत्तर प्राप्त हुए कि उन्हें इस बारे कोई जानकारी नहीं है l ऐसी है हमारी व्यबस्था, जिसके बारे में क्या बोला जाये यह इस खबर को पढ़ने वाले पाठकों गण पर ही छोड़ते हैं l

Rakesh Bhardwaj

A good reader or viewer is a person who is alert about her newspaper or news channel. A good reader or viewer will never waste her hard-earned money in watching or reading just anything. She is serious. She will have to think if the news she is consuming is journalism or sycophancy...

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